Best Hindi Nibandh PDF for UPSC | हिंदी निबंध पीडीएफ डाउनलोड 2024

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शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और भ्रष्टाचार :- समस्या और निवारण पर हिंदी निबंध लिखे गए हैं जो निम्नलिखित हैं :-

शिक्षित बेरोजगारी की समस्या पर हिंदी निबंध

प्रस्तावना (बेरोजगारी का अर्थ)

बेरोजगारी का उद्देश्य उस स्थिति से है , जब कोई योग्य तथा काम करने के लिए इच्छुक व्यक्ति प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के लिए तैयार हो और उसे काम न मिलता हो। बालक, वृद्ध, रोगी, अक्षम एवं अपंग व्यक्तियों को बेरोजगारों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। जो व्यक्ति काम करने के इच्छा नहीं रखता है और परजीवी हैं, वे भी बेरोजगारों की श्रेणी में नहीं आते।

बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या

भारत की कई आर्थिक समस्याओं के अंदर एक प्रमुख समस्या है। यह एक ऐसी बुराई है, जिसके कारण केवल उत्पादक मानव-शक्ति ही नष्ट नहीं होती, वरन् देश का भावी आर्थिक विकास भी अवरुद्ध हो जाता है। जो श्रमिक अपने कार्य द्वारा देश के आर्थिक विकास में सक्रिय सहयोग दे सकते थे, वे कार्य के अभाव में बेरोजगार रह जाते हैं। यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधा बनती है।

बेरोजगारी के कारण

हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख इस प्रकार है |

जनसंख्या में वृद्धि :- बेरोजगारी का प्रमुख कारण है- जनसंख्या में तीव्रगति से वृद्धि। विगत कुछ दशकों में भारत में जनसंख्या का विस्फोट हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या में प्रतिवर्ष 1.63% की वृद्धि हो जाती है; जबकि इस दर से बेकार हो रहे व्यक्तियों के लिए हमारे देश में रोजगार की व्यवस्था नहीं है।

दोषपूर्ण शिक्षा – प्रणाली :- भारतीय शिक्षा सैद्धान्तिक अधिक और व्यावहारिक कम है। इसमें पुस्तकीय ज्ञान पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है; फलतः यहाँ के स्कूल-कॉलेजों से निकलनेवाले छात्र दफ्तर के लिपिक ही बन पाते हैं। वे निजी उद्योग-धन्धे स्थापित करने योग्य नहीं बन पाते हैं।

कुटीर उद्योगों की उपेक्षा :- ब्रिटिश सरकार की कुटीर उद्योग विरोधी नीति के कारण देश में कुटीर उद्योगों का पतन हो गया ; फलस्वरूप अनेक कारीगर बेकार हो गए। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् भी कुटीर उद्योगों के विकास की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया; अतः बेरोजगारी में निरन्तर वृद्धि होती गई।

औद्योगी करण की मन्द प्रक्रिया :- विगत पंचवर्षीय योजनाओं में देश के औद्योगिक विकास के लिए प्रशंसनीय कदम उठाए गए हैं, किन्तु समुचित रूप से देश का औद्योगी करण नहीं किया जा सका है; अतः बेकार व्यक्तियों के लिए रोजगार नहीं जुटाए जा सके हैं।

कृषि का पिछड़ापन :- भारत की लगभग 72% जनता कृषि पर निर्भर है। कृषि के अत्यन्त पिछड़ी हुई दशा में होने के कारण कृषि बेरोजगारी की समस्या व्यापक हो गई है।

कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी :- हमारे देश में कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी है; अतः उद्योगों के सफल संचालन के लिए विदेशों से प्रशिक्षित कर्मचारी बुलाने पड़ते हैं। इस कारण से भी देश को बेहतर और प्रशिक्षित लोगों के बेकार हो जाने की भी समस्या हो जाती है।

बेरोजगारी दूर करने के लिए उपाय

बेरोजगारी को दूर करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।

जनसंख्या-वृद्धि पर नियन्त्रण :- जनसंख्या में ज्यादा वृद्धि बेरोजगारी का मुख्य कारण है; इस पर नियन्त्रण बहुत आवश्यक है। जनता को परिवार नियोजन का महत्त्व समझाते हुए उसमें छोटे परिवार के प्रति चेतना जगानी चाहिए।

शिक्षा-प्रणाली में व्यापक परिवर्तन :- शिक्षा को व्यवसाय बनाकर शारीरिक श्रम को भी उचित महत्त्व दिया जाना चाहिए।

कुटीर उद्योगों का विकास :- इस विकाश की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।

औद्योगी करण :- देश में व्यापक स्तर पर औद्योगी करण किया जाना चाहिए। इसके लिए विशाल उद्योगों की अपेक्षा बड़ी उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

सहकारी खेती :- कृषि के क्षेत्र में अधिकाधिक व्यक्तियों को रोजगार देने के लिए सहकारी खेती को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

सहायक उद्योगों का विकास :- मुख्य उद्योगों के साथ-साथ सहायक उद्योगों का भी विकास किया जाना चाहिए; जैसे-कृषि के साथ पशुपालन तथा मुर्गीपालन आदि। सहायक उद्योगों का विकास करके ग्रामीणजनों को बेरोजगारी से मुक्त किया जा सकता है।

राष्ट्र-निर्माण सम्बन्धी विविध कार्य :- देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी विविध कार्यों का अच्छे से किया जाना चाहिए और सड़कों का निर्माण , रेल-परिवहन का विकास, पुल , बाँध निर्माण आदि।

मेक इन इण्डिया और स्टार्ट अप इण्डिया योजना

देश से बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए माननीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में मेक इन इण्डिया और स्टार्ट अप इण्डिया योजनाएँ आरम्भ की गई हैं। इन योजनाओं के अन्तर्गत देश में उद्योग-धन्धों की स्थापना के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हेतु देश के द्वार खोल दिए गए हैं। अनेक विदेशी कम्पनियाँ इस योजना का लाभ उठाकर यहाँ नए उद्योग स्थापित कर रही है, जिससे बड़ी मात्रा में देश के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने लिए माननीय प्रधानमन्त्री ने मुद्रा-लोन की शुरूआत की है, जिसके अन्तर्गत देश के बेरोजगार युवा पचास हजार से पचास लाख तक का ऋण उद्योग-धन्धों की स्थापना के लिए बैंकों से प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना के अन्तर्गत स्थापित उद्योगों को अनेक टैक्सों में छूट और दूसरी रियायतें प्रदान की गई हैं। इससे निश्चय ही देश में बेरोजगारी कम होगी।

उपसंहार

स्पष्ट ही है कि हमारी सरकार बेरोजगारी उन्मूलन के प्रति जागरूक है और इस दिशा में उसने महत्त्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं। परिवार नियोजन, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कच्चा माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की सुविधा, कृषि-भूमि की हदबन्दी, नए – नए उद्योगों की स्थापना, अप्रेण्टिस (प्रशिक्षु) योजना, प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना आदि अनेकानेक कार्य ऐसे हैं, जो बेरोजगारी को दूर करने में एक सीमा तक सहायक सिद्ध हुए हैं। इनको और अधिक विस्तृत एवं प्रभावी बनाने की दिशा में भारत सरकार कटिबद्ध है ।

भ्रष्टाचार :- समस्या और निवारण पर हिंदी निबंध

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प्रस्तावना (भ्रष्टाचार से आशय)

प्रष्टाचार शब्द संस्कृत के ‘भ्रष्ट’ शब्द के साथ आचार शब्द के योग से निष्पन्न हुआ है। भ्रष्टय का अर्थ है – अपने स्थान से गिरा हुआ अथवा विचलित और आचार का अर्थ है – आचरणा, व्यवहार। इस प्रकार किसी व्यक्ति द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर अपने कर्त्तव्यों के विपरीत किया गया आचरण भ्रष्टाचार है। आज सामान्यं रूप से लोकसेवकों , चाहे वह किसी विभाग का बाबू, अधिकारी , प्रशासनिक आफिसर अथवा नेता द्वारा सामान्यजन का किया जानेवाला शोषण , रिश्वतखोरी , भाई – भतीजावाद , कमीशनखोरी आदि को भ्रष्टाचार के रूप में जाना जाता है।

भ्रष्टाचार के विविध रूप

आज के दौर में भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि उसके विविध रूप देखने में आते हैं , जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं ।

रिश्वत (सुविधा शुल्क) :- किसी कार्य को करने के लिए किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा लिया गया उपहार, सुविधा अथवा नकद धनराशि को रिश्वत कहा जाता है । आज के दौर मे अपने काम को समय से और बिना किसी परेशानी के कराने के लिए व नियमों के विपरीत कार्य कराने के लिए आज लोग रिश्वत देते हैं।

भाई-भतीजावाद :- किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा केवल अपने सगे-सम्बन्धियों को कोई सुविधा, लाभ अथवा पद (नौकरी) प्रदान करना ही भाई – भतीजावाद है। इसके लिए प्रायः नियमों और योग्यताओं की अनदेखी भी की जाती है । भाई – भतीजावाद के चलते योग्य और पात्र लोग नौकरियों तथा सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।

कमीशन :- किसी विशेष उत्पाद (वस्तु) अथवा सेवा के सौदों में किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा सौदे के बदले में विक्रेता अथवा सुविधा प्रदाता से कुल सौदे के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत प्राप्त करना कमीशन है । आज सरकारी, अर्द्ध-सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के अधिकांश सौदों अथवा ठेकों में कमीशनबाजी का वर्चस्व है।

यौन शोषण :- यह भ्रष्टाचार का सर्वथा नवीन रूप है । इसमे प्रभावशाली व्यक्ति विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए अनुचित लाभ पहुँचाने के बदले उसका यौन शोषण करता है। आज अनेक नेता , अभिनेता और उच्चाधिकारी इस भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबे हैं और अनेक जेल की सलाखों के पीछे अपने कृत्यों पर पश्चात्ताप कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार के कारण

भ्रष्टाचार के यद्यपि अनेकानेक कारण है, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं ।

महँगी शिक्षा :- शिक्षा के व्यवसायीकरण ने उसे अत्यधिक महँगा कर दिया है। आज जब एक युवा शिक्षा पर लाखों रुपये खर्च करके किसी पद पर पहुँचता है तो उसका सबसे पहला लक्ष्य यही होता है कि उसने अपनी शिक्षा पर जो खर्च किया है , उसे किसी भी उचित अनुचित रूप से ब्याज सहित वसूले। उसकी यही सोच उसे भ्रष्टाचार के दलदल में डाल देती है और फिर वह चाह कर भी इस मे से निकल नहीं पाता।

लचर न्याय की व्यवस्था :- लचर न्याय की व्यवस्था भी भ्रष्टाचार का एक मुख्य कारण है । प्रभावशाली लोग अपने धन और अपनी शक्ति के बल से कई अरबों – खरबों के घोटाले करके साफ बच निकल जाते हैं , जिससे युवा इस बात के लिए प्रेरित होता है कि यदि व्यक्ति के पास पर्याप्त धन और बल है तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

लोग -जागरण का अभाव :- हमारे देश की बहुत सारी जनता अपने अधिकारों से अनजान है , जिसका लाभ उठाकर प्रभावशाली लोग उसका शोषण करते रहते हैं , फायदा उठा लाते है और जनता चुपचाप भ्रष्टाचार की चक्की में पिसती रहती है।

विलासितापूर्ण आधुनिक जीवन – शैली :- शिक्षा – प्राप्ति के पश्चात् जब यही युवावर्ग कर्मक्षेत्र में उतरता है तो सभी प्रकार के उचित अनुचित हथकण्डे अपनाकर विलासिता के समस्त साधनों को प्राप्त करने में जुट जाता है और वह अनायास ही भ्रष्टाचार को आत्मसात् कर लेता है।

चारित्रिक पतन और जीवन-मूल्यों का ह्रास :- जीवन – मूल्यों के ह्रास ने आज व्यक्ति का इतना चारित्रिक पतन कर दिया है कि पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पुत्र, माता-पुत्री, पिता-पुत्री, भाई-बहन तथा भाई-भाई के रिश्तों का खून आज साधारण सी बात हो गई है।

भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय

आज भ्रष्टाचार को रोकना बहुत विश्वव्यापी समस्या बन गई है और भले ही इसे पूरा नष्ट न किया जा सके , तथापि कुछ कठोर कदम उठाकर इस पर अंकुश अवश्य लगाया जा सकता है। भ्रष्टाचार को दूर करने के कुछ मुख्य उपाय इस प्रकार हैं ।

जनान्दोलन :- भ्रष्टाचार को रोकने का सबसे मुख्य और महत्त्वपूर्ण उपाय जनान्दोलन है। जनान्दोलन के द्वारा लोगों को उनके अधिकारों का ज्ञान फैलाकर इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।

कठोर कानून व्यवस्था :- कठोर कानून बनाकर ही भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। यदि लोगों को पता हो कि भ्रष्टाचार करनेवाला कोई भी व्यक्ति सजा से नहीं बच सकता , भले ही वह देश का प्रधानमन्त्री अथवा राष्ट्रपति ही क्यों न हो, तो प्रत्येक व्यक्ति अनुचित कार्य करने से पहले हजार बार सोचेगा और गलत काम नही करेगा ।

निःशुल्क उच्च शिक्षा :- भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश तभी लगाया जा सकता है, जब देश के प्रत्येक युवा को निःशुल्क उच्च शिक्षा का अधिकार प्राप्त होगा।

पारदर्शिता :- देश और जनहित के प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता लाकर भी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है ; क्योंकि अधिकांश भ्रष्टाचार गोपनीयता के नाम पर ही होता है। सूचना का अधिकार इस दिशा में उठाया गया की यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

कार्यस्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा और संरक्षण :- कार्यस्थल पर प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकार और कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हुए कार्य करने के लिए यह आवश्यक है कि उसे पर्याप्त सुरक्षा तथा संरक्षण प्राप्त हो , जिससे व्यक्ति बिना डरे अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर सकेंगे।

नैतिक मूल्यों की स्थापना :- नैतिक मूल्यों की स्थापना करके भी भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है। इसके लिए धर्म प्रचारकों और समाज – सुधारक के साथ – साथ शिक्षक वर्ग को भी आगे बढ़कर साथ देना चाहिए।

उपसंहार

ट्रांसपैरेंसी इण्टरनेशनल द्वारा जारी वर्ष 2016 के भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत 76 वें स्थान पर है , जबकि वर्ष 2009 में वह 84 वें स्थान पर था। भ्रष्टाचार के क्षेत्र में अपनी इन उपलब्धियों के सहारे हम विकासशील से विकसित देश का दर्जा प्राप्त नहीं कर सकते। हम तभी विकसित देशों की श्रेणी में सम्मिलित हो सकते हैं |

शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और भ्रष्टाचार :- समस्या और निवारण पर हिंदी निबंध
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