Essay in Hindi PDF Download 2024 – हिंदी निबंध लेखन, कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के लिए हिंदी में निबंध

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इस लेख में कंप्यूटर : आज के युग की जरूरत, आज की भारतीय नारी और आओ हम सब पढ़े पढ़ाएं पर हिंदी निबंध लिखे गए हैं जो निम्न प्रकार हैं :-

कंप्यूटर : आज के युग की जरूरत पर हिंदी निबंध

भूमिका

आज का युग कम्प्यूटर का युग है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर का समावेश है। चार्ल्स बेबेज को कम्प्यूटर का पितामह कहा जाता है। बॉन न्यूमेन का कम्प्यूटर के विकास में सर्वाधिक योगदान है। वृहत् पैमाने पर गणना करने वाले इलेक्ट्रॉनिक संयंत्र को संगणक अथवा कम्प्यूटर कहते हैं , अर्थात् कम्प्यूटर वह युक्ति है जिसके द्वारा स्वचालित रूप से विविध प्रकार के आंकड़ों को संसाधित एवं संचयित किया जाता है।

आधुनिक कम्प्यूटर की खोज सर्वप्रथम 1946 ई. में हुई। कम्प्यूटर में महान क्रांति 1960 ई. से आई। वर्तमान स्वरूप का पहला कम्प्यूटर मार्क-1 था, जो 1937 ई. में बना था। विज्ञान ने मानव को अनेक प्रकार की शक्तियाँ, सुख-सुविधाएँ तथा क्रांतिकारी उपकरण दिए हैं, जिनके कारण काल और स्थान की दूरियाँ मिट गई हैं। विज्ञान के अनेक विस्मयकारी तथा महत्त्वपूर्ण उपकरणों में कंप्यूटर का विशेष स्थान है। विश्व में सर्वाधिक कम्प्यूटरों वाला देश संयुक्त राज्य अमरीका है। इसके पश्चात् क्रमशः जापान, जर्मनी, ब्रिटेन एवं फ्रांस का स्थान आता है। भारत का इस सूची में 19वाँ स्थान है ।

कम्प्यूटर के कार्य

कम्प्यूटर के प्रमुख 4 कार्य होते हैं ।

  1. आंकड़ों का संकलन या निवेशन
  2. आंकड़ों का संचयन
  3. आंकड़ों का संसाधन
  4. आंकड़ों या प्राप्त जानकारी का निर्गमन या पुनर्निर्गमन । आंकड़े लिखित, मुद्रित, श्रव्य, दृश्य रेखांकित या यांत्रिक चेष्टाओं के रूप में हो सकते हैं।

मानव मस्तिष्क से भी तेज़

‘कंप्यूटर’ की तुलना यदि मानव मस्तिष्क से की जाए तो गलत नहीं होगा। इसकी उपयोगिता को देखते हुए आज देश के लगभग हर विद्यालय में इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह एक ऐसी मशीन है जो कठिन-से-कठिन जोड़, घटा, गुणा, भाग आदि को अत्यंत शीघ्रता से तथा शत-प्रतिशत शुद्धता से करने में समर्थ है तथा स्थान-स्थान पर इसके प्रशिक्षण की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। अनेक महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भी कंप्यूटर के उच्च शिक्षण-प्रशिक्षण की सुविधाएँ हैं।

यह प्रशिक्षण दो प्रकार का होता है- ‘हार्डवेयर’ और ‘सॉफ्टवेयर’

हार्डवेयर (Hardware) :- कम्प्यूटर और उससे संलग्न सभी यंत्रों और उपकरणों को हार्डवेयर कहा जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय संसाधन एकक, आंतरिक स्मृति, बाह्य स्मृति, निवेश एवं निर्गम एकक आदि आते हैं।

सॉफ्टवेयर (Software) :- कम्प्यूटर के संचालन के लिए निर्मित प्रोग्रामों को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

कंप्यूटर की विभिन्न भाषाएँ हैं- लोट्स, कोबोल, पासकल, बेसिक आदि। कंप्यूटर की विशेषताओं के कारण आज यह हमारे जीवन का आवश्यक अंग बन गया है। आजकल कंप्यूटरों का प्रयोग बैंकों, रेलवे स्टेशनों, वि‌द्यालयों तथा कार्यालयों आदि में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्‌डों पर आरक्षण के लिए कंप्यूटरों का प्रयोग किया जाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में कंप्यूटर के प्रयोग से रोगी की चिकित्सा करने में बहुत मदद मिलती है।

बड़े-बड़े कारखानों में मशीनों को चलाने में कंप्यूटर अत्यंत उपयोगी है। बिजली का बिल बनाने, टेलीफोन का बिल बनाने, मौसम की जानकारी एकत्रित करने, समाचार-पत्रों की जानकारी एकत्रित करने, भारी तोपों, वायुयान, युद्धपोतों, पनडुब्बियों, समुद्री जहाजों आदि के संचालन में भी कंप्यूटर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कंप्यूटर के विभिन्न भाग

सी. पी. यू. (CPU) :- यह सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का संक्षिप्त रूप है। इसे कम्प्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है।

रैम (RAM) :- यह Random Excess Memory का संक्षिप्त रूप है। सामान्य भाषा में इसे कम्प्यूटर की याददाश्त (Memory) कहा जाता है। रैम की गणना मेगाबाइट्स (इकाई) से होती है।

रोम (ROM) :- यह रीड ऑनली मेमोरी का संक्षिप्त रूप है। यह हार्डवेयर का वह भाग है, जिसमें सभी सूचनाएँ स्थायी रूप से इकट्ठा रहती है और जो कम्प्यूटर को प्रोग्राम संचालित करने का निर्देश देता है।

मदर बोर्ड (Mother Board) :- यह सर्किट बोर्ड होता है, जिसमें कम्प्यूटर के प्रत्येक प्लग लगाये जाते हैं। सीपीयू, रैम आदि यूनिट मदरबोर्ड में ही संयोजित रहती है।

हार्ड डिस्क (Hard Disk) :- इसमें कम्प्यूटर के लिए प्रोग्रामों को स्टोर करने का कार्य होता है।

फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive) :- यह सूचनाओं को सुरक्षित करने या एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में आदान-प्रदान करने में प्रयुक्त होता है।

सीडी रोम (CD-ROM) :- सीडी रोम यानी कॉम्पैक्ट डिस्क का संक्षिप्त रूप है। यह छोटे- से आकार में होते हुए भी बहुत बड़ी मात्रा में आंकड़ों एवं चित्रों को ध्वनियों के साथ संग्रहित करने में सक्षम होता है।

की बोर्ड (Key Board) :- कम्प्यूटर की लेखन प्रणाली के लिए उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण की-बोर्ड कहलाता है। सामान्यतः 104 की बोर्ड को अच्छा माना जाता है।

माउस (Mouse) :- इसकी सहायता से स्क्रीन पर कम्प्यूटर के विभिन्न प्रोग्रामों को संचालित किया जाता है।

मॉनीटर (Monitor) :- इस पर कम्प्यूटर में निहित जानकारियों को देखा जा सकता है। अच्छे रंगीन मॉनीटर में 256 रंग आते हैं। मॉनीटर में डॉट पिच का उपयोग होता है। डॉटपिच पर जितने कम नम्बर होते है , स्क्रीन पर उभरने वाली छवि उतनी ही साफ और गहराई के लिए होती है।

माउंड कार्ड (Sound Card) :- यह जरूरी बातों और जानकारियों को सुनने के साथ-साथ मल्टीमीडिया के बढ़ते प्रयोग के लिए आवश्यक है।

प्रिंटर (Printer) :- इसकी मदद से कम्प्यूटर पर अंकित आंकड़ों को कागज पर मुद्रित किया जाता है। डॉट मैट्रिक्स, इंक जेट, बबल जेट और लेजर जेट प्रमुख प्रिंटर हैं।

कम्प्यूटर वायरस

कम्प्यूटर वायरस एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक कोड है, जिसका उपयोग कम्प्यूटर में समाहित सूचनाओं को समाप्त करने के लिए होता है। इसे कम्प्यूटर प्रोग्राम में, किसी टेलीफोन लाइन से दुर्भावनावश प्रेषित किया जा सकता है। इस कोड से गलत सूचनाएँ मिल सकती हैं, एकत्रित जानकारी नष्ट हो सकती है तथा यदि कोई कम्प्यूटर किसी नेटवर्क से जुड़ा है, तो इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े होने के कारण यह वायरस सम्पूर्ण नेटवर्क को प्रभावित कर सकता है।

फ्लॉपी के आदान-प्रदान से भी वायरस के फैलने का डर रहता है। ये महीनों, सालों तक बिना पहचाने गए ही कम्प्यूटर में पड़े रह सकते हैं और उसे क्षति पहुँचा सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा-व्यवस्था विकसित की गयी है। कुछ मुख्य कम्प्यूटर वायरस हैं- माइकेलेएंजलो, डार्क एवेंजर, किलो, फिलिप, सी ब्रेन, ब्लडी, चेंज मुंगू एवं देसी ।

इंटरनेट

आजकल कंप्यूटर पर ‘इंटरनेट’ सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं, जिनके द्वारा विश्व के किसी भी कोने में कुछ ही क्षणों में समाचारों तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव हो गया है। आजकल के युद्ध भी कंप्यूटर के सहारे जीते जाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। अनेक विषयों की पढ़ाई कंप्यूटर के द्वारा की जा सकती है। जोकि इंटरनेट के ज़रिए शुरू होता है । इस प्रकार कंप्यूटर तो ज्ञान-विज्ञान का ‘एंसाइक्लोपीडिया’ बन गया है।

शिक्षा के क्षेत्र की तरह विज्ञापन के क्षेत्र में भी कंप्यूटर ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया है। टी०वी० पर दिखाए जाने वाले अनेक विज्ञापन कंप्यूटर द्वारा ही विकसित किए जाते हैं। पुस्तकों की छपाई के काम में भी कंप्यूटर की सहायता ली जाती है। डीटीपी के द्वारा कंप्यूटर द्वारा पुस्तकों की छपाई का काम न केवल आसान, अपितु सुंदर भी बन गया है। पुस्तकों में छापे जाने वाले आरेख , तालिकाओं तथा चित्र को कंप्यूटर द्वारा छापा जा सकता है।

आज की भारतीय नारी पर हिंदी निबंध

प्रस्तावना

मातृत्व की गरिमा से मंडित, पत्नी के सौभाग्य से ऐश्वर्यशालिनी, धार्मिक अनुष्ठानों की सहधर्मिणी, गृह की व्यवस्थापिका तथा गृहलक्ष्मी, पुरुष सहयोगिनी, शिशु की प्रथम शिक्षिका तथा अनेक गुणों से गौरवान्वित नारी के महत्त्व को आदिकाल से ही स्वीकारां गया है। सहाराज मनु ने इसीलिए कहा जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। इसमें किंचित संदेह नहीं कि नारी के अभाव में मनुष्य का सामाजिक जीवन बेकार है। इसीलिए प्राचीन काल से ही नारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकारा गया है।

प्राचीन काल में नारी की स्थिति

प्राचीन भारत में गार्गी, अनुसूया, मैत्रेयी, सावित्री जैसी विदुषी महिलाएँ इस बात की ज्वलंत उदाहरण हैं कि वैदिक काल में भारतीय नारियाँ सम्माननीय एवं प्रतिष्ठित पद पर आसीन थीं। उन्हें शिक्षा का पूर्ण अधिकार ही नहीं था बल्कि कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य अर्धागिनी की उपस्थिति के बाद ही संपन्न होता था। परिस्थितियाँ सदा एक-सी नहीं रहतीं। शनैः शनैः नारी को पुनः प्रतिष्ठित एवं सम्माननीय पद पर आसीन करने के प्रयास शुरू हुए।

राजाराममोहन राय, स्वामी दयानंद जैसे अनेक समाज-सुधारकों के सत्प्रयासों से नारी की स्थिति में परिवर्तन आया और स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय तक भारतीय नारी पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जीवन के हर क्षेत्र में पदार्पण करने लगी। अनेक क्षेत्रों में तो उसने पुरुष को बहुत पीछे छोड़ दिया।

मध्यकाल में नारी की स्थिति

मध्यकाल में नारी की वह गौरवपूर्ण स्थिति नहीं रह सकी। यवनों के आक्रमण के बाद उसका मान-सम्मान घटने लगा। अनेक प्रकार के राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के कारण नारी को अपनी मान-मर्यादा तथा सतीत्व की रक्षा के लिए घर की चहारदीवारी तक ही सीमित कर देना पड़ा। उसकी स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि उसे पुरुष की दासी बनकर अपमान और यातनापूर्ण जीवन जीने पर मजबूर होना पड़ा ।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने चाहे नारी को ‘अबला’ कहकर भले ही संबोधित किया हो, पर आज की नारी तो पूर्णतया सबला है। आज की नारी की दोहरी भूमिका है। हर घर की चहारदीवारी में कैद होकर पुरुष की दासी बनकर केवल उनके भोग की वस्तु बन कर रह गई है, आज तो वह शिक्षा, चिकित्सा, सेना, पुलिस, उद्योग धंधे, प्रशासन जैसे बहुत से अनेक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा एवं योग्यता का परिचय दे रही है।

आज यदि एक ओर वह गृहिणी है, परिवार के उत्तरदायित्व से बंधी है, तो दूसरी ओर अपने अधिकारों तथा स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए अपनी स्वतंत्र जीविका भी चला रही है। वह पुरुष प्रधान समाज में रहकर भी अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए हुए है।

आज की नारी को अपने अधिकारों का भली-भाँति ज्ञान है। आज नारी दीन-हीन नहीं सबल, समर्थ तथा स्वावलंबी है। परंतु नारी की दोहरी भूमिका के कारण अनेक समस्याएँ भी उठ खड़ी हुई हैं। पश्चिमी सभ्यता तथा चकाचौंध से प्रभावित होने के कारण, मानसिक तनाव तथा तलाक की घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। पढ़-लिखकर नौकरी करने की इच्छा के कारण आज महिलाओं को विवाह के बाद अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं द्वारा नौकरी करने तथा स्वावलंबी बन जाने के कारण पुरुष के ‘अहं’ को कहीं-न-कहीं’ ‘चोट’ अवश्य पहुँचती है जिसके कारण दांपत्य जीवन में कटुता आ जाती है। आज की नारी, पुरुष के अमानवीय व्यवहार को सहन करने को तैयार नहीं, उसे केवल बच्चों की देखभाल करना, पति को परमेश्वर समझकर उसकी उचित अनुचित हर बात को स्वीकार करना स्वीकार्य नहीं।

आधुनिक समय में नारियों की दशा

भारतीय समाज में नारी की भूमिका उसके स्थान तथा उसके कर्तव्यों को आज हमें नए परिप्रेक्ष्य में देखना, सोचना-समझना होगा। आज की नारी को पिछली स्थिति में नहीं ले जाया जा सकता। आज तो आवश्यकता इस बात की है कि एक ओर वह अपने पारिवारिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाए तथा साथ ही आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी बनकर एक सम्मानपूर्ण जीवन भी बिताए।

आधुनिक नारी को अपने अधिकारों तथा स्वतंत्रता के प्रति इतना मदांध नहीं हो जाना चाहिए कि वह ममता, सहिष्णुता, त्याग, करुणा, सेवा-परायणता, उदारता तथा स्नेह जैसे गुणों को भूलकर पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण करके अपनी गरिमा को ही विस्मृत कर दे। नौकरी करते हुए उसे आदर्श माता, आदर्श पत्नी तथा गृह-स्वामिनी के कर्तव्यों को भली-भाँति वहन करना चाहिए।

उपसंहार

खेद का विषय है कि स्वाधीनता के इतने वर्षों के बाद आज भी भारतीय गाँवों में नारी की स्थिति में वांछित परिवर्तन नहीं आया है। भारतीय समाज में आज भी ‘लड़के’ को ‘लड़की’ से श्रेष्ठ समझा जाता है तथा अंधविश्वासों, रूढ़ियों, अशिक्षा, गरीबी तथा अज्ञानता के कारण गाँवों में उसकी दशा दयनीय है। समाज के संतुलित विकास के लिए यह जरूरी है कि दहेज जैसी कुप्रथाओं का पूरा विनाश किया जाए और नारियों के के लिए हरसंभव प्रयास किया जाए क्योंकि राष्ट्र का विकास भी नारी की उन्नति पर ही निर्भर है।

आओ हम सब पढ़े पढ़ाएं पर हिंदी निबंध

लोकतंत्र की सफलता में शिक्षित निवासियों निहित

भारत सर्वप्रभुतासंपन्न, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। प्रजातंत्र या लोकतंत्र की सफलता की आवश्यक शर्तों में सर्वप्रथम शर्त यह है कि देश के निवासी शिक्षित हों, क्योंकि प्रजातंत्र में वास्तविक शक्तियाँ उसकी जनता में ही निहित होती हैं। जिस से देश के निवासी शिक्षित नहीं होते । उस देश की स्थिति उस भवन की भाँति होती है । जिसकी नींव कमजोर होती है। जिस प्रकार कमजोर नींव वाला भवन टिकाऊ नहीं होता, उसी प्रकार ऐसा लोकतंत्र जहाँ की जनता पूर्णरूपेण शिक्षित नहीं होती, सफल नहीं हो सकता।

वर्तमान समय में शिक्षा का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। अशिक्षित व्यक्ति को न तो कोई नौकरी मिल पाती है तथा न ही वह किसी प्रकार का व्यवसाय शुरू कर पाता है। शिक्षा के अभाव में वह बेरोजगार रह जाता है तथा जीवन भर निर्धनता का अभिशाप भोगता रहता है। अशिक्षित व्यक्ति स्वयं तो अनेक प्रकार के अभिशापों से ग्रस्त रहता है, साथ ही अपनी संतान को भी उचित मार्ग दर्शन नहीं दे पाता।

सरकार तथा समाजसेवी संस्थाओं द्वारा प्रयास

साक्षर या शिक्षित जनता न केवल अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति सजग रहती है, बल्कि चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग सोच-समझकर करती है तथा उसके द्वारा उचित प्रतिनिधियों का चुनाव होता है, जिनकी नीतियों पर चलकर देश उन्नति की और अग्रसर होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश माना जाता है, परंतु यह अत्यंत खेद का विषय है कि स्वाधीनता प्राप्त कर लेने के इतने वर्षों में एक दो राज्यों को छोड़कर कहीं भी शत-प्रतिशत साक्षरता नहीं है।

विडंबना तो यह है कि भारत के अनेक राज्यों में साक्षरता का प्रतिशत अत्यंत निम्न है, जो भारतीय लोकतंत्र के नाम पर कलंक है। पिछले कुछ वर्षों से अनेक समाजसेवी संस्थाओं तथा सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित हुआ है तथा साक्षरता अभियान को नई दिशा प्राप्त हुई है। अनेक वि‌द्यालयों में छात्रों को भी इस दिशा में प्रेरित किया गया है तथा विद्यालयों, महाविद्यालयों द्वारा अनेक कार्य प्रारंभ किए गए हैं, जिनका उद्देश्य है- ‘Each one teach one’ अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित बनाना।

प्रौढ़ शिक्षा, रात्रि पाठशाला आदि

आजकल प्रौढ़ शिक्षा के साथ-साथ ऐसे बच्चों को भी शिक्षित किया जा रहा है, जो नियमित रूप से विद्यालय नहीं जा पाते। जिन्होंने निर्धनता अथवा साधनों के अभाव में पढ़ना छोड़ दिया है, उनके लिए सांध्यकालीन, रात्रिकालीन विद्यालयों तथा शिक्षा केंद्रों की व्यवस्था की गई है। ऐसी व्यवस्था में अनेक शिक्षा संस्थाएँ तथा सामाजिक संस्थाएँ आगे आ रही हैं। स्कूलों, कॉलेजों और विश्ववि‌द्यालयों के विद्यार्थी भी इस कार्य में संलग्न हैं।

शिक्षा निदेशालय की ओर से भी इस प्रकार की कक्षाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है तथा वि‌द्यालयों को ‘साक्षरता अभियान’ संबंधी निर्देश दिए जा रहे हैं। साथ ही प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय द्वारा निरक्षर प्रौढ़ों के लिए पाठ्‌यपुस्तकों का निर्माण भी किया गया है, जो निःशुल्क वितरित की जाती हैं।

साक्षरता अभियान

साक्षरता अभियान एक अत्यंत पवित्र कार्य है, जिसमें प्रत्येक युवा को अपना योगदान देना चाहिए। प्रत्येक युवक-युवती को स्वेच्छा से इस कार्य के प्रति रुचि दिखानी चाहिए तथा अपने मित्रों को भी इस कार्य में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

प्रत्येक पढ़े-लिखे युवक-युवतियों को उन अभागे बच्चों की दयनीय स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए, जिन्हें गरीबी तथा अभावों के कारण या तो विद्यालयों में प्रवेश लेने का अवसर ही नहीं मिला और यदि मिला भी तो बीच में ही छूट गया। निर्धनता से अभिशप्त ऐसे बच्चों में भी जन्मजात प्रतिभा की कमी नहीं होती। हाँ, उनकी प्रतिभा को पल्लवित तथा विकसित होने का अवसर ही नहीं मिलता।

जिस प्रकार एक दीपक दूसरे दीपक को रोशन कर देता है, वैसे ही यदि एक शिक्षित व्यक्ति केवल एक निरक्षर को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले ले, तो भारत की निरक्षरता कुछ ही समय में दूर हो सकती है। हम सभी का फर्ज़ है कि हम साक्षरता अभियान में हर संभव मदद प्रदान करके भारतवर्ष से निरक्षरता का समूल नाश करने का बीड़ा उठाएँ और इस कलंक को सदा के लिए मिटा दें।

कंप्यूटर : आज के युग की जरूरत, आज की भारतीय नारी और आओ हम सब पढ़े पढ़ाएं पर हिंदी निबंध
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